गया में महिलाओं के नेतृत्व में “Take Home Ration/ टेक–होम राशन” उत्पादन: विकसित भारत की ओर एक कदम
ग्रामीण बिहार में परिवर्तन की कहानी
बिहार के गया जिले में एक शांत लेकिन शक्तिशाली परिवर्तन हो रहा है। माताओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए एक सरकारी पहल के रूप में शुरू हुआ यह प्रयास सामुदायिक सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यम की कहानी भी बन गया है।
इस बदलाव के केंद्र में गया का फोर्टिफाइड (fortified) टेक-होम राशन (टी.एच.आर) उत्पादन संयंत्र है, जिसे 2014 में बोधगया प्रखंड के “सहदेव खाप” गाँव में स्थापित किया गया आई.सी.डी.एस/ ICDS के अंतर्गत, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता के समर्थन में, यह संयंत्र पिछले एक दशक में एक स्थिर, समुदाय द्वारा संचालित उद्यम के रूप में विकसित हुआ है। यह एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे सरकारी नीतियाँ—जब स्थानीय स्वामित्व में निहित हों और मजबूत सामुदायिक संस्थाओं द्वारा समर्थित हों—स्वस्थ पीढ़ियों और स्थायी आजीविका का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।
संयंत्र/ उत्पादन केंद्र का Layout/ लेआउट: उत्पादन के लिए अनुकूल
इस संयंत्र का स्वामित्व और प्रबंधन रौशन जीविका महिला ग्राम संगठन द्वारा किया जाता है, जो 18 स्वयं सहायता समूहों (SHG) का एक संघ है, जिसमें 235 महिला सदस्य शामिल हैं। 5,000 वर्ग फुट किराए की भूमि पर स्थित, यह उत्पादन केंद्र 12 मशीनों से सुसज्जित है जो उत्पादन के विभिन्न चरणों में सहायता प्रदान करती हैं। इसमें कच्चे माल, पैकेजिंग और तैयार माल के भंडारण के लिए सीमांकित क्षेत्र शामिल हैं – जो सुचारू और व्यवस्थित संचालन सुनिश्चित करते हैं।
अपनी तकनीकी व्यवस्था के अलावा, यह उत्पादन केंद्र अपने कर्मचारियों की भलाई को प्राथमिकता देता है और स्वच्छ शौचालय, जलपान क्षेत्र, सुरक्षित जल और बिजली आपूर्ति जैसी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करता है। ये सभी सुविधाएँ मिलकर उन महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, कुशल और सम्मानजनक कार्य वातावरण का निर्माण करती हैं जो इसकी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
व्हीटामिक्स: कुपोषण से निपटने का एक स्वदेशी समाधान
गया के इस उत्पादन केंद्र में उत्पादित THR (टी.एच.आर) को व्हीटामिक्स के नाम से जाना जाता है—गेहूँ, चावल, दालों, चीनी और विटामिन-खनिज प्रीमिक्स का एक मज़बूत मिश्रण। पोषक तत्वों से भरपूर यह मिश्रण विशेष रूप से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, साथ ही छह साल से कम उम्र के बच्चों की पोषण और आहार संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
बिहार में, जहाँ पाँच साल से कम उम्र के 43% बच्चे अविकसित हैं और 60% महिलाएँ Anemia/ एनीमिया से पीड़ित हैं, व्हीटामिक्स मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में कार्य करता है। पारम्परिक रूप से स्वीकार्य खाद्य उत्पाद के माध्यम से आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करके, यह कुपोषण से निपटने और सामुदायिक कल्याण को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पोषण से परे: आर्थिक और सामाजिक प्रभाव के लिए एक उत्प्रेरक
शुरुआत में केवल बोधगया ब्लॉक में सेवा प्रदान करने वाले इस उत्पादन केंद्र ने 2021-22 में अपने परिचालन का विस्तार डोभी ब्लॉक तक कर दिया। कोरोना / COVID-19 महामारी के कारण हुए व्यवधानों के बावजूद, इसने मज़बूत वित्तीय स्थिरता प्रदर्शित किया—वित्त वर्ष 2020-21 में इसका कारोबार ₹73 लाख से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में ₹1.92 करोड़ हो गया। अपनी स्थापना के बाद से, इस उत्पादन केंद्र ने अनुमानित ₹35 लाख का लाभ कमाया है, लगातार 35 मीट्रिक टन से अधिक के मासिक ऑर्डर पूरे किए हैं और 385 आंगनवाड़ी केंद्रों को आपूर्ति की है। ये उपलब्धियाँ इस उत्पादन केंद्र को पोषण और आर्थिक दोनों तरह के परिणाम देने वाले एक आदर्श जमीनी उद्यम के रूप में स्थापित करती हैं।
वर्तमान में, यह संयंत्र प्रतिदिन लगभग 2.5 मीट्रिक टन (Metric Tonne) फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों का उत्पादन करता है। इसके पास एक वैध FSSAI License/ प्रमाणन (2018 से) है और यह सख्त स्वच्छता Protocol/ प्रोटोकॉल का पालन करता है, जिसमें दैनिक स्वच्छता, उत्पाद परीक्षण और खाद्य सुरक्षा एवं “गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज” (Good Manufacturing Practices/ GMP) पर नियमित स्टाफ प्रशिक्षण शामिल है। अपने शुरुआती दिनों में, सामुदायिक प्रयासों ने— जैसे कि व्हीटामिक्स को हलवे के रूप में तैयार करना—स्वीकार्यता को बढ़ावा देने, विश्वास बनाने और नियमित उपभोग को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी, इस उत्पादन केंद्र ने निर्बाध THR (टी.एच.आर) वितरण सुनिश्चित किया, जिससे पोषण सुरक्षा और महिला श्रमिकों की आजीविका दोनों की रक्षा हुई।
उत्पादन से परे महिलाओं का सशक्तिकरण: महिला सशक्तिकरण का केंद्र
यह उत्पादन केंद्र केवल खाद्य उत्पादन स्थल से कहीं अधिक है—यह महिला सशक्तिकरण और सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम है। यहां स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) की लगभग 40 महिलाएँ बारी-बारी से कार्यरत हैं, और इनके परिवार के पुरुष सदस्य भी गैर-तकनीकी सहायक भूमिकाओं में योगदान देते हैं। महिलाएँ तकनीकी कार्यों के प्रबंधन, निर्णय लेने में भागीदारी, रिकॉर्ड (Record) बनाए रखने और नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। मजदूरी सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती है, जिससे वित्तीय स्वतंत्रता और साक्षरता को बढ़ावा मिलता है। इस समावेशी रोजगार मॉडल ने न केवल घरेलू आय को मजबूत किया है, बल्कि पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को भी चुनौती दी है—इससे संबंधित महिलाओं में आत्मविश्वास, दृश्यता और नेतृत्व के नए स्तर को बढ़ावा मिला है।
समुदाय–नेतृत्व परिवर्तन के लिए एक अनुकरणीय मॉडल
गया टी.एच.आर संयंत्र इस बात का एक सम्मोहक उदाहरण है कि कैसे महिलाओं के नेतृत्व वाले सामुदायिक उद्यम सतत और समावेशी विकास को गति दे सकते हैं। पोषण, आजीविका सृजन और लैंगिक सशक्तिकरण को सहजता से एकीकृत करते हुए, इस संयंत्र ने जमीनी स्तर पर एक स्थायी सामाजिक प्रभाव डाला है।
ग्लोबल अलायन्स फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन / Global Alliance for Improved Nutrition (GAIN), निदान और जीविका /JEEViKA जैसे संस्थानों के साथ मजबूत साझेदारी और एक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला द्वारा समर्थित, यह मॉडल भारत के अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। महिलाओं को कौशल, स्थिर आय और नेतृत्व के लिए एक मंच प्रदान करके, यह संयंत्र स्वस्थ परिवारों और मजबूत स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में मदद कर रहा है – यह साबित करता है कि जब महिलाएं नेतृत्व करती हैं, तो समुदाय फलते-फूलते हैं।
इस संयंत्र की कहानी स्थानीय सफलता से कहीं आगे जाती है – यह एक सिद्ध, मापनीय मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है जो स्वास्थ्य, पोषण, आजीविका और महिला सशक्तिकरण सहित कई विकास लक्ष्यों को एक साथ संबोधित करता है। महिलाओं के नेतृत्व वाली ऐसी टेक-होम राशन (टी.एच.आर) इकाइयों में निवेश में वृद्धि सरकारों और विकास भागीदारों दोनों के लिए उच्च-लाभ वाली रणनीति के रूप में काम कर सकती है। हम सरकार को देश भर में ऐसे मॉडलों को लागू करने और दोहराने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, क्योंकि इनमें सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने और विकसित भारत के व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करने की महत्वपूर्ण क्षमता है।